Indian Penal Code in Hindi | भारतीय धाराएं / दण्ड संहिता

धारा 216 – ऐसे अपराधी को संश्रय देना, जो अभिरक्षा से निकल भागा है या जिसको पकड़ने का आदेश दिया जा चुका है।
धारा 216क – लुटेरों या डाकुओं को संश्रय देने के लिए शास्ति
धारा 216ख – धारा 212, धारा 216 और धारा 216क में संश्रय की परिभाषा।
धारा 217 – लोक सेवक द्वारा किसी व्यक्ति को दंड से या किसी संपत्ति के समपहरण से बचाने के आशय से विधि के निदेश की अवज्ञा।
धारा 218 – किसी व्यक्ति को दंड से या किसी संपत्ति को समपहरण से बचाने के आशय से लोक सेवक द्वारा अशुद्ध अभिलेख या लेख की रचना।
धारा 219 – न्यायिक कार्यवाही में विधि के प्रतिकूल रिपोर्ट आदि का लोक सेवक द्वारा भ्रष्टतापूर्वक किया जाना।
धारा 220 – प्राधिकार वाले व्यक्ति द्वारा जो यह जानता है कि वह विधि के प्रतिकूल कार्य कर रहा है, विचारण के लिए या परिरोध करने के लिए सुपुर्दगी।
धारा 221 – पकड़ने के लिए आबद्ध लोक सेवक द्वारा पकड़ने का साशय लोप।
धारा 222 – दंडादेश के अधीन या विधिपूर्वक सुपुर्द किए गए व्यक्ति को पकड़ने के लिए आबद्ध लोक सेवक द्वारा पकड़ने का साशय लोप।
धारा 223 – लोक सेवक द्वारा उपेक्षा से परिरोध या अभिरक्षा में से निकल भागना सहन करना।
धारा 224 – किसी व्यक्ति द्वारा विधि के अनुसार अपने पकड़े जाने में प्रतिरोध या बाधा।
धारा 225 – किसी अन्य व्यक्ति के विधि के अनुसार पकड़े जाने में प्रतिरोध या बाधा।
धारा 225क – उन दशाओं में जिनके लिए अन्यथा उपबंध नहीं है लोक सेवक द्वारा पकड़ने का लोप या निकल भागना सहन करना।
धारा 225ख – अन्यथा अनुपबंधित दशाओं में विधिपूर्वक पकड़ने में प्रतिरोध या बाधा या निकल भागना या छुड़ाना।
धारा 226 – निर्वासन से विधिविरुद्ध वापसी।
धारा 227 – दंड के परिहार की शर्त का अतिक्रमण
धारा 228 – न्यायिक कार्यवाही में बैठे हुए लोक सेवक का साशय अपमान या उसके कार्य में विघ्न।
धारा 228क – कतिपय अपराधों आदि से पीड़ित व्यक्ति की पहचान का प्रकटीकरण।
धारा 229 – जूरी सदस्य या आंकलन कर्ता का प्रतिरूपण।
धारा 230 – सिक्का की परिभाषा
धारा 231 – सिक्के का कूटकरण
धारा 232 – भारतीय सिक्के का कूटकरण
धारा 233 – सिक्के के कूटकरण के लिए उपकरण बनाना या बेचना।
धारा 234 – भारतीय सिक्के के कूटकरण के लिए उपकरण बनाना या बेचना।
धारा 235 – सिक्के के कूटकरण के लिए उपकरण या सामग्री उपयोग में लाने के प्रयोजन से उसे कब्जे में रखना।
धारा 236 – भारत से बाहर सिक्के के कूटकरण का भारत में दुष्प्रेरण।
धारा 237 – कूटकृत सिक्के का आयात या निर्यात
धारा 238 – भारतीय सिक्के की कूटकृतियों का आयात या निर्यात।
धारा 239 – सिक्के का परिदान जिसका कूटकृत होना कब्जे में आने के समय ज्ञात था।
धारा 240 – उस भारतीय सिक्के का परिदान जिसका कूटकृत होना कब्जे में आने के समय ज्ञात था।
धारा 241 – किसी सिक्के का असली सिक्के के रूप में परिदान, जिसका परिदान करने वाला उस समय जब वह उसके कब्जे में पहली बार आया था, कूटकृत होना नहीं जानता था।
धारा 242 – कूटकृत सिक्के पर ऐसे व्यक्ति का कब्जा जो उस समय उसका कूटकृत होना जानता था जब वह उसके कब्जे में आया था।
धारा 243 – भारतीय सिक्के पर ऐसे व्यक्ति का कब्जा जो उसका कूटकृत होना उस समय जानता था जब वह उसके कब्जे में आया था।
धारा 244 – टकसाल में नियोजित व्यक्ति द्वारा सिक्के को उस वजन या मिश्रण से भिन्न कारित किया जाना जो विधि द्वारा नियत है।
धारा 245 – टकसाल से सिक्का बनाने का उपकरण विधिविरुद्ध रूप से लेना।
धारा 246 – कपटपूर्वक या बेईमानी से सिक्के का वजन कम करना या मिश्रण परिवर्तित करना।
धारा 247 – कपटपूर्वक या बेईमानी से भारतीय सिक्के का वजन कम करना या मिश्रण परिवर्तित करना।
धारा 248 – इस आशय से किसी सिक्के का रूप परिवर्तित करना कि वह भिन्न प्रकार के सिक्के के रूप में चल जाए।
धारा 249 – इस आशय से भारतीय सिक्के का रूप परिवर्तित करना कि वह भिन्न प्रकार के सिक्के के रूप में चल जाए।
धारा 250 – ऐसे सिक्के का परिदान जो इस ज्ञान के साथ कब्जे में आया हो कि उसे परिवर्तित किया गया है।
धारा 251 – भारतीय सिक्के का परिदान जो इस ज्ञान के साथ कब्जे में आया हो कि उसे परिवर्तित किया गया है।
धारा 252 – ऐसे व्यक्ति द्वारा सिक्के पर कब्जा जो उसका परिवर्तित होना उस समय जानता था जब वह उसके कब्जे में आया।
धारा 253 – ऐसे व्यक्ति द्वारा भारतीय सिक्के पर कब्जा जो उसका परिवर्तित होना उस समय जानता था जब वह उसके कब्जे में आया।
धारा 254 – सिक्के का असली सिक्के के रूप में परिदान जिसका परिदान करने वाला उस समय जब वह उसके कब्जे में पहली बार आया था, परिवर्तित होना नहीं जानता था।
धारा 255 – सरकारी स्टाम्प का कूटकरण
धारा 256 – सरकारी स्टाम्प के कूटकरण के लिए उपकरण या सामग्री कब्जे में रखना।
धारा 257 – सरकारी स्टाम्प के कूटकरण के लिए उपकरण बनाना या बेचना।
धारा 258 – कूटकृत सरकारी स्टाम्प का विक्रय
धारा 259 – सरकारी कूटकृत स्टाम्प को कब्जे में रखना
धारा 260 – किसी सरकारी स्टाम्प को, कूटकृत जानते हुए उसे असली स्टाम्प के रूप में उपयोग में लाना।
धारा 261 – इस आशय से कि सरकार को हानि कारित हो, उस पदार्थ पर से, जिस पर सरकारी स्टाम्प लगा हुआ है, लेख मिटाना या दस्तावेज से वह स्टाम्प हटाना जो उसके लिए उपयोग में लाया गया है।
धारा 262 – ऐसे सरकारी स्टाम्प का उपयोग जिसके बारे में ज्ञात है कि उसका पहले उपयोग हो चुका है।
धारा 263 – स्टाम्प के उपयोग किए जा चुकने के द्योतक चिन्ह का छीलकर मिटाना।
धारा 263क – बनावटी स्टाम्पों का प्रतिषेघ
धारा 264 – तोलने के लिए खोटे उपकरणों का कपटपूर्वक उपयोग।
धारा 265 – खोटे बाट या माप का कपटपूर्वक उपयोग
धारा 266 – खोटे बाट या माप को कब्जे में रखना
धारा 267 – खोटे बाट या माप का बनाना या बेचना
धारा 268 – लोक न्यूसेन्स
धारा 269 – उपेक्षापूर्ण कार्य जिससे जीवन के लिए संकटपूर्ण रोग का संक्रम फैलना संभाव्य हो।
धारा 270 – परिद्वेषपूर्ण कार्य, जिससे जीवन के लिए संकटपूर्ण रोग का संक्रम फैलना संभाव्य हो।
धारा 271 – करन्तीन के नियम की अवज्ञा
धारा 272 – विक्रय के लिए आशयित खाद्य या पेय वस्तु का अपमिश्रण।
धारा 273 – अपायकर खाद्य या पेय का विक्रय
धारा 274 – औषधियों का अपमिश्रण
धारा 275 – अपमिश्रित ओषधियों का विक्रय
धारा 276 – ओषधि का भिन्न औषधि या निर्मिति के तौर पर विक्रय।
धारा 277 – लोक जल-स्रोत या जलाशय का जल कलुषित करना।
धारा 278 – वायुमण्डल को स्वास्थ्य के लिए अपायकर बनाना।
धारा 279 – सार्वजनिक मार्ग पर उतावलेपन से वाहन चलाना या हांकना।
धारा 280 – जलयान का उतावलेपन से चलाना
धारा 281 – भ्रामक प्रकाश, चिन्ह या बोये का प्रदर्शन।
धारा 282 – अक्षमकर या अति लदे हुए जलयान में भाड़े के लिए जलमार्ग से किसी व्यक्ति का प्रवहण।
धारा 283 – लोक मार्ग या पथ-प्रदर्शन मार्ग में संकट या बाधा कारित करना।
धारा 284 – विषैले पदार्थ के संबंध में उपेक्षापूर्ण आचरण
धारा 285 – अग्नि या ज्वलनशील पदार्थ के सम्बन्ध में उपेक्षापूर्ण आचरण।
धारा 286 – विस्फोटक पदार्थ के बारे में उपेक्षापूर्ण आचरण।
धारा 287 – मशीनरी के सम्बन्ध में उपेक्षापूर्ण आचरण।
धारा 288 – किसी निर्माण को गिराने या उसकी मरम्मत करने के संबंध में उपेक्षापूर्ण आचरण।
धारा 289 – जीवजन्तु के संबंध में उपेक्षापूर्ण आचरण।
धारा 290 – अन्यथा अनुपबन्धित मामलों में लोक बाधा के लिए दण्ड।
धारा 291 – न्यूसेन्स बन्द करने के व्यादेश के पश्चात् उसका चालू रखना।
धारा 292 – अश्लील पुस्तकों आदि का विक्रय आदि।
धारा 2925क – विमर्शित और विद्वेषपूर्ण कार्य जो किसी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके उसकी धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आशय से किए गए हों।
धारा 292क – ब्लैकमेल के लिए अभद्र या भयावह बात या बात का मुद्रण, आदि।
धारा 293 – तरुण व्यक्ति को अश्लील वस्तुओ का विक्रय आदि।
धारा 294 – अश्लील कार्य और गाने
धारा 294क – लाटरी कार्यालय रखना
धारा 295 – किसी वर्ग के धर्म का अपमान करने के आशय से उपासना के स्थान को क्षति करना या अपवित्र करना।
धारा 296 – धार्मिक जमाव में विघ्न करना
धारा 297 – कब्रिस्तानों आदि में अतिचार करना
धारा 298 – धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के सविचार आशय से शब्द उच्चारित करना आदि।
धारा 299 – आपराधिक मानव वध
धारा 300 – हत्या
धारा 301 – जिस व्यक्ति की मृत्यु कारित करने का आशय था उससे भिन्न व्यक्ति की मृत्यु करके आपराधिक मानव वध करना।
धारा 302 – हत्या के लिए दण्ड
धारा 303 – आजीवन कारावास से दण्डित व्यक्ति द्वारा हत्या के लिए दण्ड।
धारा 304 – हत्या की श्रेणी में न आने वाली गैर इरादतन हत्या के लिए दण्ड।
धारा 304क – उपेक्षा द्वारा मृत्यु कारित करना
धारा 304ख – दहेज मृत्यु
धारा 305 – शिशु या उन्मत व्यक्ति की आत्महत्या का दुष्प्रेरण।
धारा 306 – आत्महत्या का दुष्प्रेरण
धारा 307 – हत्या करने का प्रयत्न
धारा 308 – गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास
धारा 309 – आत्महत्या करने का प्रयत्न
धारा 310 – ठग
धारा 311 – ठगी के लिए दण्ड
धारा 312 – गर्भपात कारित करना
धारा 313 – स्त्री की सहमति के बिना गर्भपात कारित करना।
धारा 314 – गर्भपात कारित करने के आशय से किए गए कार्यों द्वारा कारित मृत्यु।
धारा 315 – शिशु का जीवित पैदा होना रोकने या जन्म के पश्चात् उसकी मृत्यु कारित करने के आशय से किया गया कार्य।
धारा 316 – ऐसे कार्य द्वारा जो गैर-इरादतन हत्या की कोटि में आता है, किसी सजीव अजात शिशु की
मृत्यु कारित करना।
धारा 317 – शिशु के पिता या माता या उसकी देखरेख रखने वाले व्यक्ति द्वारा बारह वर्ष से कम आयु के शिशु का परित्याग और अरक्षित डाल दिया जाना।
धारा 318 – मृत शरीर के गुप्त व्ययन द्वारा जन्म छिपाना।
धारा 319 – क्षति पहुँचाना
धारा 320 – घोर आघात
धारा 321 – स्वेच्छया उपहति कारित करना
धारा 322 – स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना
धारा 323 – जानबूझ कर स्वेच्छा से किसी को चोट पहुंचाने के लिए दण्ड।
धारा 324 – खतरनाक आयुधों या साधनों द्वारा स्वेच्छया उपहति कारित करना।
धारा 325 – स्वेच्छापूर्वक किसी को गंभीर चोट पहुचाने के लिए दण्ड।
धारा 326 – खतरनाक आयुधों या साधनों द्वारा स्वेच्छापूर्वक घोर उपहति कारित करना।
धारा 326क – एसिड हमले
धारा 326ख – एसिड हमला करने का प्रयास
धारा 327 – संपति या मूल्यवान प्रतिभूति की जबरन वसूली करने के लिए या अवैध कार्य कराने को मजबूर करने के लिए स्वेच्छापूर्वक चोट पहुँचाना।
धारा 328 – अपराध करने के आशय से विष इत्यादि द्वारा क्षति कारित करना।
धारा 329 – सम्पत्ति उद्दापित करने के लिए या अवैध कार्य कराने को मजबूर करने के लिए स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना।
धारा 330 – संस्वीकृति जबरन वसूली करने या विवश करके संपत्ति का प्रत्यावर्तन कराने के लिए स्वेच्छया क्षति कारित करना।
धारा 331 – संस्वीकृति उद्दापित करने के लिए या विवश करके सम्पत्ति का प्रत्यावर्तन कराने के लिए स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना।
धारा 332 – लोक सेवक अपने कर्तव्य से भयोपरत करने के लिए स्वेच्छा से चोट पहुँचाना।
धारा 333 – लोक सेवक को अपने कर्तव्यों से भयोपरत करने के लिए स्वेच्छया घोर क्षति कारित करना।
धारा 334 – प्रकोपन पर स्वेच्छया क्षति करना
धारा 335 – प्रकोपन पर स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना।
धारा 336 – दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को ख़तरा पहुँचाने वाला कार्य।
धारा 337 – किसी कार्य द्वारा, जिससे मानव जीवन या किसी की व्यक्तिगत सुरक्षा को ख़तरा हो, चोट पहुँचाना कारित करना।
धारा 338 – किसी कार्य द्वारा, जिससे मानव जीवन या किसी की व्यक्तिगत सुरक्षा को ख़तरा हो, गंभीर चोट पहुँचाना कारित करना।
धारा 339 – सदोष अवरोध।
धारा 340 – सदोष परिरोध या गलत तरीके से प्रतिबंधित करना।
धारा 341 – सदोष अवरोध के लिए दण्ड
धारा 342 – गलत तरीके से प्रतिबंधित करने के लिए दण्ड
धारा 343 – तीन या अधिक दिनों के लिए सदोष परिरोध
तीन।
धारा 344 – दस या अधिक दिनों के लिए सदोष परिरोध
धारा 345 – ऐसे व्यक्ति का सदोष परिरोध जिसके छोड़ने के लिए रिट निकल चुका है।
धारा 346 – गुप्त स्थान में सदोष परिरोध
धारा 347 – सम्पत्ति की जबरन वसूली करने के लिए या अवैध कार्य करने के लिए मजबूर करने के लिए सदोष परिरोध।
धारा 348 – संस्वीकृति उद्दापित करने के लिए या विवश करके सम्पत्ति का प्रत्यावर्तन करने के लिए सदोष परिरोध।
धारा 349 – बल
धारा 350 – आपराधिक बल
धारा 351 – हमला
धारा 352 – गम्भीर प्रकोपन के बिना हमला करने या आपराधिक बल का प्रयोग करने के लिए दण्ड।
धारा 353 – लोक सेवक को अपने कर्तव्य के निर्वहन से भयोपरत करने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग।
धारा 354 – स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग।
धारा 354क – यौन उत्पीड़न
धारा 354ख – एक औरत नंगा करने के इरादे के साथ कार्य।
धारा 354ग – छिप कर देखना
धारा 354घ – पीछा
धारा 355 – गम्भीर प्रकोपन होने से अन्यथा किसी व्यक्ति का अनादर करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग।
धारा 356 – हमला या आपराधिक बल प्रयोग द्वारा किसी व्यक्ति द्वारा ले जाई जाने वाली संपत्ति की चोरी का प्रयास।
धारा 357 – किसी व्यक्ति का सदोष परिरोध करने के प्रयत्नों में हमला या आपराधिक बल का प्रयोग।
धारा 358 – गम्भीर प्रकोपन मिलने पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग।
धारा 359 – व्यपहरण
धारा 360 – भारत में से व्यपहरण
धारा 361 – विधिपूर्ण संरक्षकता में से व्यपहरण
धारा 362 – अपहरण
धारा 363 – व्यपहरण के लिए दण्ड
धारा 363क – भीख मांगने के प्रयोजनों के लिए अप्राप्तवय का व्यपहरण का विकलांगीकरण।
धारा 364 – हत्या करने के लिए व्यपहरण या अपहरण करना।
धारा 364क – फिरौती, आदि के लिए व्यपहरण
धारा 365 – किसी व्यक्ति का गुप्त और अनुचित रूप से सीमित / कैद करने के आशय से व्यपहरण या अपहरण।
धारा 366 – विवाह आदि के करने को विवश करने के लिए किसी स्त्री को व्यपहृत करना, अपहृत करना या उत्प्रेरित करना।
धारा 366क – अप्राप्तवय लड़की का उपापन
धारा 366ख – विदेश से लड़की का आयात करना
धारा 367 – व्यक्ति को घोर उपहति, दासत्व, आदि का विषय बनाने के उद्देश्य से व्यपहरण या अपहरण।
धारा 368 – व्यपहत या अपहत व्यक्ति को गलत तरीके से छिपाना या कैद करना।
धारा 369 – दस वर्ष से कम आयु के शिशु के शरीर पर से चोरी करने के आशय से उसका व्यपहरण या अपहरण।
धारा 370 – मानव तस्करी – दास के रूप में किसी व्यक्ति को खरीदना या बेचना।
धारा 371 – दासों का आभ्यासिक व्यवहार करना
धारा 372 – वेश्यावृत्ति आदि के प्रयोजन के लिए नाबालिग को बेचना।
धारा 373 – वेश्यावृत्ति आदि के प्रयोजन के लिए नाबालिग को खरीदना।
धारा 374 – विधिविरुद्ध बलपूर्वक श्रम
धारा 375 – बलात्संग
धारा 376 – बलात्कार के लिए दण्ड
धारा 376क – पृथक् कर दिए जाने के दौरान किसी पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ संभोग।
धारा 376ख – लोक सेवक द्वारा अपनी अभिरक्षा में की किसी स्त्री के साथ संभोग।
धारा 376ग – जेल, प्रतिप्रेषण गृह आदि के अधीक्षक द्वारा संभोग।
धारा 376घ – अस्पताल के प्रबन्ध या कर्मचारिवृन्द आदि के किसी सदस्य द्वारा उस अस्पताल में किसी स्त्री के साथ संभोग।
धारा 377 – प्रकृति विरुद्ध अपराध
धारा 378 – चोरी
धारा 379 – चोरी के लिए दंड
धारा 380 – निवास-गृह आदि में चोरी
धारा 381 – लिपिक या सेवक द्वारा स्वामी के कब्जे में संपत्ति की चोरी।
धारा 382 – चोरी करने के लिए मृत्यु, क्षति या अवरोध कारित करने की तैयारी के पश्चात् चोरी करना।
धारा 383 – उद्दापन/जबरन वसूली
धारा 384 – ज़बरदस्ती वसूली करने के लिए दण्ड
धारा 385 – ज़बरदस्ती वसूली के लिए किसी व्यक्ति को क्षति के भय में डालना।
धारा 386 – किसी व्यक्ति को मृत्यु या गंभीर आघात के भय में डालकर ज़बरदस्ती वसूली करना।
धारा 387 – ज़बरदस्ती वसूली करने के लिए किसी व्यक्ति को मृत्यु या घोर आघात के भय में डालना।
धारा 388 – मृत्यु या आजीवन कारावास, आदि से दंडनीय अपराध का अभियोग लगाने की धमकी देकर उद्दापन।
धारा 389 – जबरन वसूली करने के लिए किसी व्यक्ति को अपराध का आरोप लगाने के भय में डालना।
धारा 390 – लूट
धारा 391 – डकैती
धारा 392 – लूट के लिए दण्ड
धारा 393 – लूट करने का प्रयत्न
धारा 394 – लूट करने में स्वेच्छापूर्वक किसी को चोट पहुँचाना।
धारा 395 – डकैती के लिए दण्ड
धारा 396 – हत्या सहित डकैती
धारा 397 – मृत्यु या घोर आघात कारित करने के प्रयत्न के साथ लूट या डकैती।
धारा 398 – घातक आयुध से सज्जित होकर लूट या डकैती करने का प्रयत्न।
धारा 399 – डकैती करने के लिए तैयारी करना
धारा 400 – डाकुओं की टोली का होने के लिए दण्ड
धारा 401 – चोरों के गिरोह का होने के लिए दण्ड
धारा 425 – रिष्टि / कुचेष्टा
धारा 426 – रिष्टि के लिए दण्ड
धारा 427 – कुचेष्टा जिससे पचास रुपए का नुकसान होता है।
धारा 428 – दस रुपए के मूल्य के जीवजन्तु को वध करने या उसे विकलांग करने द्वारा रिष्टि।
धारा 429 – किसी मूल्य के ढोर, आदि को या पचास रुपए के मूल्य के किसी जीवजन्तु का वध करने या उसे विकलांग करने आदि द्वारा कुचेष्टा।
धारा 430 – सिंचन संकर्म को क्षति करने या जल को दोषपूर्वक मोड़ने द्वारा रिष्टि।
धारा 431 – लोक सड़क, पुल, नदी या जलसरणी को क्षति पहुंचाकर रिष्टि।
धारा 432 – लोक जल निकास में नुकसानप्रद जलप्लावन या बाधा कारित करने द्वारा रिष्टि।
धारा 433 – किसी दीपगृह या समुद्री-चिह्न को नष्ट करके, हटाकर या कम उपयोगी बनाकर रिष्टि।
धारा 434 – लोक प्राधिकारी द्वारा लगाए गए भूमि चिह्न के नष्ट करने या हटाने आदि द्वारा रिष्टि।
धारा 435 – सौ रुपए का या (कृषि उपज की दशा में) दस रुपए का नुकसान कारित करने के आशय से अग्नि या विस्फोटक पदार्थ द्वारा कुचेष्टा।
धारा 436 – गृह आदि को नष्ट करने के आशय से अग्नि या विस्फोटक पदार्थ द्वारा कुचेष्टा।
धारा 437 – किसी तल्लायुक्त या बीस टन बोझ वाले जलयान को नष्ट करने या असुरक्षित बनाने के आशय से कुचेष्टा।
धारा 438 – धारा 437 में वर्णित अग्नि या विस्फोटक पदार्थ द्वारा की गई कुचेष्टा के लिए दण्ड।
धारा 439 – चोरी, आदि करने के आशय से जलयान को साशय भूमि या किनारे पर चढ़ा देने के लिए दण्ड।
धारा 440 – मृत्यु या उपहति कारित करने की तैयारी के पश्चात् की गई रिष्टि।
धारा 441 – आपराधिक अतिचार
धारा 442 – गृह-अतिचार
धारा 443 – प्रच्छन्न गृह-अतिचार
धारा 444 – रात्रौ प्रच्छन्न गृह-अतिचार
धारा 445 – गृह-भेदन
धारा 446 – रात्रौ गृह-भेदन
धारा 447 – आपराधिक अतिचार के लिए दण्ड
धारा 448 – गृह-अतिचार के लिए दण्ड
धारा 449 – मृत्यु से दंडनीय अपराध को रोकने के लिए गृह-अतिचार।
धारा 450 – अपजीवन कारावास से दंडनीय अपराध को करने के लिए गृह-अतिचार।
धारा 451 – कारावास से दण्डनीय अपराध को करने के लिए गृह-अतिचार।
धारा 452 – बिना अनुमति घर में घुसना, चोट पहुंचाने के लिए हमले की तैयारी, हमला या गलत तरीके से दबाव बनाना।
धारा 453 – प्रच्छन्न गृह-अतिचार या गृह-भेदन के लिए दंड।
धारा 454 – कारावास से दण्डनीय अपराध करने के लिए छिप कर गृह-अतिचार या गृह-भेदन करना।
धारा 455 – उपहति, हमले या सदोष अवरोध की तैयारी के पश्चात् प्रच्छन्न गृह-अतिचार या गृह-भेदन।
धारा 456 – रात में छिप कर गृह-अतिचार या गृह-भेदन के लिए दण्ड।
धारा 457 – कारावास से दण्डनीय अपराध करने के लिए रात में छिप कर गृह-अतिचार या गृह-भेदन करना।
धारा 458 – क्षति, हमला या सदोष अवरोध की तैयारी के करके रात में गृह-अतिचार।
धारा 459 – प्रच्छन्न गृह-अतिचार या गृह-भेदन करते समय घोर उपहति कारित हो।
धारा 460 – रात्रौ प्रच्छन्न गृह-अतिचार या रात्रौ गृह-भेदन में संयुक्ततः सम्पृक्त समस्त व्यक्ति दंडनीय हैं, जबकि उनमें से एक द्वारा मृत्यु या घोर उपहति कारित हो।
धारा 461 – ऐसे पात्र को, जिसमें संपत्ति है, बेईमानी से तोड़कर खोलना।
धारा 462 – उसी अपराध के लिए दंड, जब कि वह ऐसे व्यक्ति द्वारा किया गया है जिसे अभिरक्षा न्यस्त की गई है।
धारा 463 – कूटरचना
धारा 464 – मिथ्या दस्तावेज रचना
धारा 465 – कूटरचना के लिए दण्ड।
धारा 466 – न्यायालय के अभिलेख की या लोक रजिस्टर आदि की कूटरचना।
धारा 467 – मूल्यवान प्रतिभूति, वसीयत, इत्यादि की कूटरचना।
धारा 468 – छल के प्रयोजन से कूटरचना
धारा 469 – ख्याति को अपहानि पहुंचाने के आशय से कूटरचन्न।
धारा 470 – कूटरचित 2[दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेखट।
धारा 471 – कूटरचित दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख का असली के रूप में उपयोग में लाना।
धारा 472 – धारा 467 के अधीन दण्डनीय कूटरचना करने के आशय से कूटकृत मुद्रा, आदि का बनाना या कब्जे में रखना।
धारा 473 – अन्यथा दण्डनीय कूटरचना करने के आशय से कूटकृत मुद्रा, आदि का बनाना या कब्जे में रखना।
धारा 474 – धारा 466 या 467 में वर्णित दस्तावेज को, उसे कूटरचित जानते हुए और उसे असली के रूप में उपयोग में लाने का आशय रखते हुए, कब्जे में रखना।
धारा 475 – धारा 467 में वर्णित दस्तावेजों के अधिप्रमाणीकरण के लिए उपयोग में लाई जाने वाली
अभिलक्षणा या चिह्न की कूटकृति बनाना या कूटकृत चिह्नयुक्त पदार्थ को कब्जे में रखना।
धारा 476 – धारा 467 में वर्णित दस्तावेजों से भिन्न दस्तावेजों के अधिप्रमाणीकरण के लिए उपयोग में
लाई जाने वाली अभिलक्षणा या चिह्न की कूटकृति बनाना या कूटकृत चिह्नयुक्त पदार्थ को कब्जे में रखना।
धारा 477 – विल, दतकग्रहण प्राधिकार-पत्र या मूल्यवान प्रतिभूति को कपटपूर्वक रदद्, नष्ट, आदि करना।
धारा 477क – लेखा का मिथ्याकरण
धारा 478 – व्यापार चिह्न
धारा 479 – सम्पत्ति चिह्न
धारा 480 – मिथ्या व्यापार चिहन का प्रयोग किया जाना
धारा 481 – मिथ्या सम्पत्ति-चिह्न को उपयोग में लाना
धारा 482 – मिथ्या सम्पत्ति-चिह्न को उपयोग करने के लिए दण्ड।
धारा 483 – अन्य व्यक्ति द्वारा उपयोग में लाए गए सम्पति चिह्न का कूटकरण।
धारा 484 – लोक सेवक द्वारा उपयोग में लाए गए चिह्न का कूटकरण।
धारा 485 – सम्पत्ति-चिह्न के कूटकरण के लिए कोई उपकरण बनाना या उस पर कब्जा।
धारा 486 – कूटकृत सम्पत्ति-चिह्न से चिन्हित माल का विक्रय।
धारा 487 – किसी ऐसे पात्र के ऊपर मिथ्या चिह्न बनाना जिसमें माल रखा है।
धारा 488 – किसी ऐसे मिथ्या चिह्न को उपयोग में लाने के लिए दण्ड।
धारा 489 – क्षति कारित करने के आशय से सम्पत्ति-चिह्न को बिगाड़ना।
धारा 489क – करेन्सी नोटों या बैंक नोटों का कूटकरण
धारा 489ख – कूटरचित या कूटकृत करेंसी नोटों या बैंक नोटों को असली के रूप में उपयोग में लाना।
धारा 489ग – कूटरचित या कूटकृत करेन्सी नोटों या बैंक नोटों को कब्जे में रखना।
धारा 489घ – करेन्सी नोटों या बैंक नोटों की कूटरचना या कूटकरण के लिए उपकरण या सामग्री बनाना या कब्जे में रखना।
धारा 4893 – करेन्सी नोटों या बैंक नोटों से सदृश्य रखने वाली दस्तावेजों की रचना या उपयोग।
धारा 490 – समुद्र यात्रा या यात्रा के दौरान सेवा भंग
धारा 491 – असहाय व्यक्ति की परिचर्या करने की और उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति करने की संविदा का भंग।
धारा 492 – दूर वाले स्थान पर सेवा करने का संविदा भंग जहां सेवक को मालिक के खर्चे पर ले जाया जाता है।
धारा 493 – विधिपूर्ण विवाह का धोखे से विश्वास उत्प्रेरित करने वाले पुरुष द्वारा कारित सहवास।
धारा 494 – पति या पत्नी के जीवनकाल में पुनः विवाह करना।
धारा 495 – वही अपराध पूर्ववर्ती विवाह को उस व्यक्ति से छिपाकर जिसके साथ आगामी विवाह किया जाता है।
धारा 496 – विधिपूर्ण विवाह के बिना कपटपूर्वक विवाह कर्म पूरा करना।
धारा 497 – व्यभिचार
धारा 498 – विवाहित स्त्री को आपराधिक आशय से फुसलाकर ले जाना, या निरुद्ध रखना।
धारा 498A – किसी स्त्री के पति या पति के नातेदार द्वारा उसके प्रति क्रूरता करना।
धारा 499 – मानहानि
धारा 500 – मानहानि के लिए दण्ड
धारा 501 – मानहानिकारक जानी हुई बात को मुद्रित या उत्कीर्ण करना।
धारा 502 – मानहानिकारक विषय रखने वाले मुद्रित या उत्कीर्ण सामग्री का बेचना।
धारा 503 – आपराधिक अभित्रास
धारा 504 – शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना
धारा 505 – लोक रिष्टिकारक वक्तव्य
धारा 506 – धमकाना
धारा 507 – अनाम संसूचना द्वारा आपराधिक अभित्रास
धारा 508 – व्यक्ति को यह विश्वास करने के लिए उत्प्रेरित करके कि वह दैवी अप्रसाद का भाजन होगा कराया गया कार्य
धारा 509 – शब्द, अंगविक्षेप या कार्य जो किसी स्त्री की लज्जा का अनादर करने के लिए आशयित है
धारा 510 – शराबी व्यक्ति द्वारा लोक स्थान में दुराचार
धारा 511 – आजीवन कारावास या अन्य कारावास से दण्डनीय अपराधों को करने का प्रयत्न करने के लिए दण्ड

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